‘योग-थेरेपी’ से कम करे मोटापा

डॉ.स्मिता गौतम

कंसल्टेंट होमियोपैथ एवं योग थेरापिस्ट

ओबेसिटी अथवा मोटापा वह स्थिति होती हैं जब किसी व्यक्ति का वज़न आवश्यकता से अधिक हो जाता है तथा शरीर पर बहुत अधिक मात्रा में वसा (फैट) जमा हो जाता है। ओबेसिटी को व्यक्ति के बॉडी मास इंडेक्स (बी एम आई) अर्थात आपके वज़न (किलोग्राम में) को आपकी लम्बाई (मीटर में) से विभाजित करके बी एम आई की गणना की जाती है। वे व्यक्ति जिनका बी एम आई 25 – 29 होता है वे ओवरवेट (आवश्यकता से अधिक वज़न होना) कहे जाते हैं तथा वे व्यक्ति जिनका बी एम आई 30 से 40 के बीच होता है वे ओबेस (मोटे) माने जाते हैं। ओबेसिटी के कारण कई बीमारियाँ जैसे डायबिटीज़ (मधुमेह), दिल की बीमारी, कैंसर के कई प्रकार, स्ट्रोक आदि होने की संभावना रहती है। ओबेसिटी किसी भी उम्र में हो सकती है। अधिक कैलोरी ग्रहण करना तथा निष्क्रिय जीवन शैली ओबेसिटी के दो प्रमुख कारण हैं।

 

मोटापा कम करना एक बहुत बड़ा चैलेंज है, खास तौर पर तब, जब वजन कुछ ज्‍यादा ही हो।  आज हर कोई स्‍लीम होने के लिए शॉर्टकट लेना चाहता है, भले ही उसका कोई फायदा न हो क्यूंकि हर व्यक्ति के मन में यह डर बना रहता है कि बढ़ता मोटापा उसकी खूबसूरती पर धब्बा न बन जाए। इस मोटापे से छुटकारा पाने के लिए वह किसी न किसी जुगाड़ में लगे रहते हैं। कोई सुबह-सुबह पार्क में दौड़ लगाता नजर आता है, तो कोई जिम में कसरत करता, लेकिन मोटापा है कि जाने का नाम नहीं लेता। ऐसे में मोटापे के साथ कई और बीमारियां भी शरीर से दोस्ती कर लेती हैं। यही नहीं, अपने मोटापे को दूसरों की नजर से बचाने के लिए अपने साइज से बड़ा साइज खरीदना लोग पसंद करते हैं। लेकिन यह सब कोई स्थायी उपाय नहीं है।

जी हां, अगर आप भी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की तरह अपने शरीर को शेप में रखना चाहतें है, तो अपनी दिनचर्या में योग थेरेपी को जगह दें।

 

योग थेरेपी ही क्यों?

योग थेरेपी में योगासन मात्र कैलोरी बर्न करने के लिए नहीं किया जाते। योग थेरेपी में प्रत्येक व्यक्ति की शरीरिक-मानसिक आवश्यकता के अनुसार ही आसनों का चुनाव किया जाता है। इसमें ‘वन फार्मूला फिट ऑल’ नहीं चलता। शारीरिक सजगता जागृत करने के लिए ‘योग’ से अच्छा और कोई माध्यम नहीं है। शरीर किस प्रकार से कार्य करता है, उसकी जरुरत और उसके लिए क्या योग्य है, यह योगाभ्यास द्वारा समझा जा सकता है। योग कोई धर्म नहीं है। यह एक विज्ञान है, अच्छा बनने का विज्ञान, ताज़गी का विज्ञान, शरीर को एक करने का विज्ञान, दिमाग और आत्मा को शांत रखने का विज्ञान है। योग एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है, जो कि सिर्फ शरीर को ही शेप में करने के लिए नहीं किया जाता, बल्कि व्यक्ति के पूरे स्वास्थ्य को ठीक रखने में सहायक होता है। योग थेरेपी के माध्यम से मोटापे से ग्रसित व्यक्ति में डिसिप्लिन, डेडिकेशन और डिटरमिनेशन का विकास किया जाता है, जोकि मोटापा कम करने के लिए अत्यंत आवश्यक है.

 

मोटापे को कम करने वाले आसन

मोटापे को कम करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं, जिनका अभ्यास सामान्य लोगों द्वारा किया जा सकता है, इसके अतिरिक्त जिन लोगों की शारीरिक गतिविधियाँ अतिशय वजन के कारण सीमित हो गयी हो उनके लिए भी योगासनों में बदलाव लाकर रोगी को योगाभ्यास द्वारा उपलब्ध लाभ पहुंचाए जा सकता हैं.

 

सूर्य नमस्कार, यह एक बुनियादी, सबसे ज्यादा जाना-जाने वाला और व्यापक रूप से अभ्यास किया जाने वाला आसन है। सूर्य नमस्कार का अर्थ है-‘सूरज का अभिवादन’ या ‘वंदन करना’। इसमें 12 योग मुद्राओं का मिश्रण होता है, जो कि शरीर के विभिन्न भागों को केंद्रित करता है। इसकी यही खासियत इसे पूरे शरीर के लिए फायदेमंद बनाती है। उदाहरण के लिए प्रार्थना की मूल मुद्रा, आगे की ओर मुड़ना और फिर भुजांगासन। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि शरीर को चुस्त रखने के लिए सूर्य नमस्कार एक बढ़िया तरीका है, क्योंकि यह शरीर के लगभग हर संभव अंग की कसरत करने में मदद करता है। यह कंकाल प्रणाली की सहनशक्ति बढ़ाने, तनाव और चिंताओं को दूर करने में भी सहायक है।

 

इसके अतिरिक्त पवनमुक्त आसन, अर्ध- मत्स्येन्द्रासन, गौमुख आसन, वज्रासन, पश्चिमोत्तासन त्रिकोणासन आदि भी वजन कम करने में सहायक होते हैं। जो व्यक्ति बेली-फैट से प्रभावित हैं, उन्हें मयूरासन से बहुत लाभ होता है। यहाँ पर धयान रखने की बात है कि जिन लोगों को   योग के विषय में अधिक जानकारी नहीं है, सर्वप्रथम उन्हें योग किसी ट्रेंड योग-शिक्षक के अधीन रह कर सीखना चाहिए तत्पश्चात ही अकेले प्रैक्टिस करना चाहिए.

 

वजन कम करने में सात्विक और योगिक डायट की भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है, जिनमें ताजा और जैविक उत्पादों पर ही भरोसा करना चाहिए। मसालों पर रोक और प्रोसेसड फूड खाना हानिकारक है। इस दौरान घर का बना खाना, ताजे फल और एक बार डाइट में सब्जियों को शामिल किया जा सकता है। साथ ही, एक बार में खाए जाने वाले खाने की मात्रा को भी ध्यान में रखना जरूरी है। आपनी खाने की आदत को नियंत्रित करना आवश्यक है.